झाबुआ। जल संग्रहण के लिए कार्य कर रही सामाजिक संस्था शिवगंगा के अभियान के तहत हाथीपावा की पहाड़ी पर रविवार सुबह हलमा (सामूहिक श्रमदान) हुआ। संस्था का दावा है कि 20 हजार ग्रामीणों ने श्रमदान करते हुए 40 हजार जल संरचनाएं बनाई। जल संरचनाएं बनने से पहाड़ी के आसपास क्षेत्र का जलस्तर बढ़ेगा। हलमा तीन घंटे से अधिक समय तक चला। इसे देखने 150 से अधिक मेहमान भी आए। इसके पूर्व शनिवार शाम डेढ़ किमी लंबी गैती यात्रा निकली थी, जिसमें पुरुष कंधे पर शान से गैती लेकर निकल रहे थे वहीं महिलाएं सिर पर तगारी लेकर यात्रा में शामिल थी। भगोरिया निकट होने की झलक भी यात्रा में दिखाई दी। कई ग्रामीण ढोल-मांदल के साथ भी इसमें शामिल थे।
शिवगंगा के कार्यकर्ताओं ने झाबुआ से सटे दशहरा मैदान से शनिवार की शाम को गैती सम्मान यात्रा निकाली। कार्यक्रम स्थल पर वक्ताओं ने यात्रा के उद्देश्यों के बारे में बताया। राजवाड़ा चौक पर सांसद गुमानसिंह डामोर, सकल व्यापारी संघ सहित कई संस्थाओं व गणमान्य नागरिकों ने यात्रा का स्वागत किया। उसके बाद शहर के विभिन्न मार्गों पर भी यात्रा का स्वागत होता रहा। संपूर्ण शहर में घूमने के बाद यात्री दशहरा मैदान पर चले गए। वहां लगातार गांव-गांव से आए लोगों को जल संरचना के महत्व व पानी रोकने के बारे में जानकारी दी गई।
सुबह ही निकल पड़े
रविवार सुबह 6 बजे ही ग्रामीण एक साथ गैती व तगारी लेकर हाथीपावा की पहाड़ियों के लिए निकल पड़े। शहर से सटी इस पहाड़ी पर पिछले 10 वर्षों से सामूहिक हलमा कार्यक्रम किया जा रहा है। इसी परंपरा के अनुरूप रविवार सुबह 8 बजे फिर से हाथीपावा की पहाड़ियों पर सामूहिक हलमा कार्यक्रम चला। अलग-अलग समूहों में विभाजित होकर ग्रामीण जल संरचनाओं का निर्माण किया।
यह काम अब तक हो चुका
- पद्मश्री महेश शर्मा का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के लिए सभी का सहयोग आवश्यक है।
- शिवगंगा के राजाराम कटारा ने बताया कि अब तक 65 बड़े तालाब बनाए जा चुके हैं। जिनकी क्षमता 400 करोड़ लीटर की है। 51 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं।
- वरिष्ठ कार्यकर्ता रामसिंह मेड़ा का कहना है कि पर्यावरण के साथ हमें जल को भी बचाना है।
- सकल व्यापारी संघ अध्यक्ष नीरजसिंह राठौर का कहना है कि यह आयेाजन शिवगंगा के लिए ही नहीं बल्कि सभी समाजों के लिए आयोजित किया जाता है।
यह है खास
- 4 माह से चल रही थी तैयारी
- 2010 से शिवगंगा कर रही है हलमा
- 6 बार हाथीपावा की पहाड़ी पर हो चुका है श्रमदान
- 1 लाख 11 हजार जल संरचनाएं अभी तक बनी।
- 350-400 लीटर पानी सहेजने का दावा।
- 2 हजार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया।
- 800 तड़वियों की हुई बैठक।
- 70 हजार परिवारों को निमंत्रण दिया गया।